एपिसोड विवरण:
"इस एपिसोड में, हम 'शिव पुराण' के तेरहवें अध्याय से शिव पूजा की सर्वोत्तम विधि को विस्तार से जानेंगे। ब्रह्माजी द्वारा नारद जी को बताई गई इस विधि में शिव पूजा की सभी आवश्यक प्रक्रियाओं और उनके आध्यात्मिक लाभों का वर्णन किया गया है। यह एपिसोड आपको पूजा की तैयारी, आवश्यक सामग्री, मंत्रोच्चार, शिवलिंग अभिषेक, और पूजा के नियमों के बारे में गहन जानकारी देगा। साथ ही, इसमें बताया गया है कि किस प्रकार भक्ति और श्रद्धा के साथ की गई शिव आराधना मनुष्य को भोग और मोक्ष दोनों प्रदान करती है। शिवभक्तों के लिए यह एक मार्गदर्शक एपिसोड है।"
शिव पूजा की सर्वोत्तम विधि (शिव पुराण से सारांश)
इस एपिसोड में, शिव पूजा की विधि का विस्तार से वर्णन किया गया है, जिसे ब्रह्माजी ने नारद जी को बताया। इसमें बताया गया कि शिव पूजा कैसे भोग और मोक्ष प्रदान करने वाली है।
प्रारंभिक तैयारी:
- सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठकर भगवान शिव और पार्वती का स्मरण करें।
- स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थान को गोबर आदि से शुद्ध करें और उचित आसन (जैसे मृग या हिरन की खाल) पर बैठें।
- त्रिपुंड और रुद्राक्ष धारण करें।
पूजा सामग्री और पूजन प्रक्रिया:
- शिवलिंग को पंचामृत और सुगंधित चंदन से स्नान कराएं।
- बेलपत्र, धूप, दीप, फूल और नैवेद्य अर्पित करें।
- मंत्रोच्चार के साथ तिल, जौ, गेहूं और तुलसी अर्पित करें।
- तांबूल और आरती के साथ शिवजी की परिक्रमा करें।
विशेष निर्देश:
- रविवार, अमावस्या, और कुछ विशेष तिथियों पर दांतुन और गर्म जल से स्नान से परहेज करें।
- सही दिशा और विधि का पालन करते हुए ध्यान और पूजा करें।
- पूजा समाप्त होने पर शिवजी का आवाहन और विसर्जन करें।
प्रार्थना और आचरण:
- शिवजी से अपने अज्ञान और गलतियों के लिए क्षमा याचना करें।
- मन और प्राण शिवजी में लगाए रखें।
- अंत में, ब्रह्माजी ने ऋषियों को इस विधि को भोग और मोक्ष प्रदान करने वाली बताया।
ब्रह्माजी के इस वर्णन को सुनकर ऋषियों ने उनकी प्रशंसा की और कहा कि यह विधि सुनकर वे कृतार्थ हो गए।
यह एपिसोड शिव पूजा की विधि को सरल और प्रभावी ढंग से समझाता है, जो हर भक्त के लिए उपयोगी है।
मुख्य बिंदु:समाप्ति:
[00:00:00] शिव पुराण 13, अध्याय शिव पूजन की श्रेष्ठ विधी
[00:00:04] प्रमाजी कहते हैं, हे नारद, अब मैं शिव पूजन की सरवत्तम विधी बताता हूं, ये विधी समस्त अभिष्ठ तथा सुखों को प्रदान करने वाली है
[00:00:13] उपवास ब्रह्म मुहूर्त में उठकर जगदंबा पार्वती और भगवान शिव का स्मरण करो, दोनों हाथ जोड कर उनके सामने सिर जुका कर भक्ति पूर्वक प्रार्थना करो, हे देवेश, रष्टी, हे त्रिलो की नात
[00:00:27] हे प्रभु, मेरे हृदय में निवास करने वाले देव उननत और पूरे ब्रहम्मान का मंगल करिये
[00:00:33] हे प्रभु, मैं धर्मा धर्म को नहीं जानता हूं, आपकी प्रेरणा से ही मैं कार्य करता हूं
[00:00:39] फिर गुरु चरणों का ध्यान करते हुए कक्ष से निकल कर, शौच आदी से निवृत्त हो, फिर मिट्टी और जल से देह को शुध करें, दोनों हाथों और पैरों को धो कर दांतुन करें, सोलह बार जल को अंजलियों में मुख को धोएं, ये कार्य सूर्योदय से पूर्�
[00:01:32] पूर्व या उत्तर की और मुख करके करें, स्नान के उपरांत स्वच्छ अत्यंत धुले हुए वस्त्र को धारण करें,
[00:01:39] दूसरों के पहने हुए अत्वा रात में सोते समय पहने वस्त्रों को बिना धुले धारण न करें, स्नान के बाद पित्रों एवं देवताओं को प्रसन्न करने हेतु तरपन करें, उसके बाद धुले हुए वस्त्र धारण करें और आत्म गमन करें, पूजा हेतु स्थान को
[00:01:55] गोबरादी से लीपकर शुद्ध करें.
[00:01:57] वहां लकडी के आसन की व्यवस्था करें.
[00:02:00] ऐसा आसन अभिष्ट फल देने वाला होता है.
[00:02:03] उस आसन पर बैटने के लिए
[00:02:04] म्रिग अथवा हिरन की खाल की व्यवस्था करें.
[00:02:07] उस पर बैटकर भस्म से त्रिपुंड लगाएं.
[00:02:25] पर गुरु की आज्या लेकर और उनका ध्यान करते हुए समर्पन से शिव का पूजन करें.
[00:02:31] विधि विनायक गणेश जी का बुद्धि सिध्धि सहित पूजन करें.
[00:02:34] ओम गणपतये नम्ह का जप करते हुए उन्हें नमसकार करें तथा क्षमा याचना करें.
[00:02:51] पर नंदी और शिखर लंबोदर नामक धाराओं की पूजा करें.
[00:02:56] तथ पश्चाद भगवती देवी की पूजा तथा शिवलिंग का पूजन करें.
[00:03:00] चंदन, कुमकुम, धूप, दीप और नैवेद्य से शिवजी का पूजन करें.
[00:03:06] प्रेम पूर्वक नमसकार करें.
[00:03:07] अपने घर में मिट्टी, सोना, चांदी, धातू या अन्य किसी धातू की शिव प्रतिमा बनाएं.
[00:03:14] भक्ति पूर्वक शिवजी की पूजा कर उन्हें नमसकार करें.
[00:03:38] जो कैलाश के शिखर पर निवास करते हैं और पार्वती देवी के पती हैं,
[00:03:46] जो समस्त देवताओं के लिए पूजित हैं, जिनके पांच मुख, दस हाथ तथा प्रत्येक मुख पर तीन-तीन नेत्र हैं,
[00:03:53] जो सिर पर चंद्रमा का मुकुट और जटा धारन किये हुए हैं,
[00:03:57] जिनका रंग कपूर के समान है, जो बाग की खालोड हैं,
[00:04:02] जिनके गले में वासुकी नामक नाग लिप्टा है,
[00:04:05] जो सभी मुख्यों को शरण देने वाले और सभी भक्त जनों जिनको जयजयकार करते हैं,
[00:04:11] जिनका सभी वेद और शास्त्रों में गुनगान किया गया है,
[00:04:27] जो पाहन करते हुए पश्चात उनका आसन स्थापित करें,
[00:04:30] आसन के बाद शिवलिंग को पात्र और अन्य अर्ग्य दें,
[00:04:34] पंचामृत के त्योहार द्वारा शिवलिंग का स्नान कराएं तथा मंत्र सहित रुद्र अभिशेक करें,
[00:04:40] स्नान के पश्चात सुगंधित चंदन का लेप करें तथा गंध्युक्त जलधारा से उनका अभिशेक करें,
[00:04:47] फिर आसन पर जल दें और वस्त्र अर्पित करें,
[00:04:50] मंत्रों द्वारा भगवान शिव को तिल, जो, गेहू, तिल और उडद अर्पित करें,
[00:04:55] शिवजी के प्रत्येक मुखपर कमल, शतपात्र, शंक पुष्प, कुष्पुष्प, ध्रुवा, मंदार, द्रोन पुष्प, तुलसीदल तथा बेलपत्र चढ़ा कर, परमेश्वर के महेश्वर की विशेश पूजा करें,
[00:05:08] बेलपत्र समर्पित करने से, शिवजी की पूजा सफल होती है, ततपश्चात सुगंधित चूर्ण तथा सुगंधित तेल बड़े हर्ष के साथ भगवान शिव को अर्पित करें, गुगगुल और अगर की धूब दें, घी का दीपक जलाएं, प्रभो शंकर, आपको हम न
[00:05:36] नैवेद्यव तामबूल अर्पित करें, पांच बत्ती की आर्ती करें, चार बार पैरों में, दो बार नाभी के सामने, एक बार मुख के सामने, तथा संपूर्ण शरीर में साथ बार आर्ती दिखाएं, ततपश्चात शिवजी की परिक्रमा करें, हे प्रभु शंकर, मैंन
[00:06:05] पर प्रसन्न हुए, प्रभु, जिनके पैर लट पटाते हैं, उनका आप ही एक मात्र सहारा है, जिनोंने कोई भी अपराद किया है, उनके लिए आप ही शरन दाता हैं, ये प्रार्थना करके पुषपांजली अर्पित करें, तथा पुना भगवान शिव को नमस्कार करें,
[00:06:20] देवेश्वर प्रभो, अब आप परिवार सहित अपने स्थान को पधारें, तथा जब पूजा का समय हो, तब पुना यहां पधारें, इस प्रकार भगवान शंकर की प्रार्थना करते हुए उनका विसर्जन करें, और उस जल को अपने हृदय में लगाकर मस्तक पर लगा
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