इस कथा में, भगवान शिव ने भगवान विष्णु को सृष्टि की रक्षा और जीवों के कल्याण के लिए जिम्मेदारी सौंपी। शिव ने विष्णु को बताया कि वे सभी लोकों में पूजनीय होंगे और जब भी कोई संकट आएगा, वे जीवों की रक्षा करेंगे, अनेक अवतार लेकर धर्म की स्थापना करेंगे। शिव ने यह भी कहा कि वे विष्णु के कार्यों में सहायता करेंगे और उनके शत्रुओं का नाश करेंगे।
शिव और विष्णु को एक-दूसरे का पूरक बताते हुए, शिव ने कहा कि दोनों में कोई अंतर नहीं है और जो उनकी निंदा करेगा, उसे नरक का सामना करना पड़ेगा। शिव ने विष्णु के साथ अपना संबंध मजबूत करते हुए, उन्हें आशीर्वाद दिया और उन्हें हर संकट में सहायता करने का वचन दिया।
इसके बाद, भगवान शिव ने ब्रह्मा, विष्णु, और रुद्र की आयु और कालचक्र का वर्णन किया, जो सृष्टि की व्यापकता और शिव की शाश्वतता को दर्शाता है। इस संवाद के अंत में शिव अंतर्धान हो गए और उसी क्षण से लिंग पूजा का आरंभ हुआ।
क्या भगवान विष्णु अपनी जिम्मेदारी को निभाने के लिए नए अवतार लेंगे? शिव के साथ उनका संबंध और कितनी गहराई में जाएगा? इन रहस्यमय घटनाओं का साक्षी बनने के लिए सुनें पूरी कथा!
हर हर महादेव!