Shiv Puran: शिव के भस्मधारण का रहस्य | अध्याय १८ | Ajay Tambe

Shiv Puran: शिव के भस्मधारण का रहस्य | अध्याय १८ | Ajay Tambe

शिव पुराण हिंदी में : "विद्येश्वर संहिता" भारत के प्रसिद्ध ग्रन्थ महाशिवपुराण का प्रथम भाग है। शिवपुराण अठारह पुराणों में से एक प्रसिद्ध पुराण है। इस पुराण में २४,००० श्लोक है तथा इसके क्रमश: ६ खण्ड है- इस भाग में निम्न विषयों पर सविस्तार वर्णन मिलता है:- प्रयाग मे सूतजी से मुनियोंं का तुरन्त पाप नाश करनेवाले साधन के विषय मे प्रश्न शिवपुराण का परिचय साध्य-साधन आदि का विचार तथा श्रवण,कीर्तन और मनन –इन तीन साधनों की श्रेष्ठता का प्रतिपादन महेश्वर का ब्रह्मा और विष्णु को अपने निष्कल और सकल स्वरूप का परिचय देते हुए लिंगपूजन का महत्त्व बताना विद्येश्वर संहिता भगवान शिव से सम्बन्धित है। इस संहिता में 'शिवरात्रि व्रत', 'पंचकृत्य', 'ओंकार का महत्त्व', 'शिवलिंग की पूजा' और 'दान के महत्त्व' आदि पर प्रकाश डाला गया है। शिव की भस्म और रुद्राक्ष का महत्त्व भी बताया गया है। इसमें बताया गया है कि रुद्राक्ष जितना छोटा होता है, उतना ही अधिक फलदायक होता है। खंडित रुद्राक्ष, कीड़ों द्वारा खाया हुआ रुद्राक्ष या गोलाई रहित रुद्राक्ष कभी धारण नहीं करना चाहिए। सर्वोत्तम रुद्राक्ष वह है, जिसमें स्वयं ही छेद होता है।

[00:00:00] शिव पुरान, अथारहवा अद्ध्याए बन्धन, और मोखष्का विवेचन, शिव के बहस्मदारन का रहेसे रूशी बोले, सरवग्यो में श्रेष्ट सुद जी बन्धन और मोखष् क्या है? क्रिप्या हमपर करिपाकर हमें बताएं? सुद जी ने कहा, महाभाग, मैं बन्धन और मोखष्के स्वरूप ववौपाय का वरनन तुमहरे ले कर रहा हूं प्रित्वी के आथ बन्धनो के कारन ही आत्मा की जीव सनजा है आथ आत, बन्धनो में बन्धनो अजीव बन्ध कहलाता है अडिव बन्धनो से चुटा हूँआ है, उसे मुक्त कहते है प्रक्रती, बुद्धी, त्रिगुनात्मक, आहंकार, और पाज तन्मात्राय, आदी, आथ तत्वों के समुह से देध की उदपती हुई है अदी, देध कर्म होता है, अदी, करम से नुतन देध की उदपती होती है शविर को स्फुल, सुख्ष्म, और कारंके बेथ से जान आच्छाये सुख्ष्म, शविर इंद्रिय भोग प्रडान करने बाला, तता शविर को आतमनन्द का अंुबबव कराने वाला होता है वाज़्ाशुब करमो दूरा चक्र की भानती गूमाया जाता है. इसे चूट कर बाने के लिए, महाद माँके करता, भग्वान शिव की स्तृती और आरादना करनी चाहिये. शिव ही आसे इच्छादारी, पूर नग्या और अनन्त शकतियों के दारक है. वो जाती है, भब जीव जगड बंद सहथ शिव का सामिप प्राप्त कर लेटा है. बभग्वान का प्राप्तात प्राप्त होने पर बुद्टी वष में हो जाती है. सच्चट अन्द और ट्रिभ्ती शिव के अच्वर है, इने बाकर मनुश्ख को मुक्ति हो जाती है इसलिये, शिव का गरपा प्रसाथ प्राथ करने के लिए उनी का पुजन करना चाहिये शिव ग्रपा, शिवव्रत, शिव मंप्रजाब, शिवानम, और शिव द्यान, प्रतिदिन प्राथः से राद को सोते समय दक जन्म से म्रत्य। तक करना चाहिये यवम मंत्रों और विभिन्न पूजां से शिव्की पूजा करनी चाहिये आँसा करने से बखाग्वान शिव्का लोग प्राब्थ होता है रूषी बोले, उटम्वरत का पालन करने वाले सुथ जी शिव्लिंकी पूजा कैसे करनी चाहिये? क्रिप्या हमें बताएए? सुथ जीने कहा, राहमडों सभी कामनाव को पूँण करने वाले लिंग के स्वरूब का मैं तुम से वलनन कर रहा हूं सुख्श्म लिंग निकलता होता है तो वो तरत्बी बर पाछ लिंग है जिन का विव्रन मैं तुमे सुनाता हूं पहला, स्वायमभू शिव्लिंग तुस्च्रा बिंदू लिंग तीस्रा प्रतिष्छित लिंग और विध्ख्वा गुरु लिंग तुम वाद्वाड़ा ब्रत्बी बर पाछ लिंग है जिन का विव्रन मैं तुमे सुनाता हूं पहला, स्वायमभू शिव्लिंग तुस्च्रा बिंदू लिंग तीस्रा प्रतिष्छित लिंग चोथा चर्लिंग और पाछवा गुरु लिंग देवर्ष्यों की तबस्या से समपन नहो उनके समीप प्रकत होने के लिए प्रित्वी के अंटरगत भीच्ष्यों में व्याप्तूए भबवाच्व व्रिक्ष्यों के अंकृर की पांती भुमी के भेदखर नाद्लिंग के रुप में व्यक्त हो जाते है व्यक्त हो जाते है सुतह प्रकत होने के कारन ही इसका नाम स्वेम भूलिंग है इसकी आरादना करने से गयान की व्रिद्धि होती है सोने चांदी, भूमी, भेदी पर हाथ से प्रनाम मंत्र लिख कर भबवाच्व की प्रतिष्टा और आहवान करे अद्मस्ध्ध के लिए पारुष्ट्लिंग की स्थापना मंत्र पुट्ख स्थापिट की आगया लिए प्रतिष्ट्लिंग के लादा है किन्तु वेः प्राक्रित लिझग है शक्ती शाली और नित्ति होने वाला पारुष्ट्लिए ब्राँवान अद्मस्ध की लिए प्राक्रित लिए विः वाला पारुष्ट्लिए तथा दूर्भल और अनित्ति होने वाला प्राक्रित लिझग के लादा है लिझग, नाभी, जीब, रिद़, और मस्टक में विराज्मान वस्ट्र प्रदान करनेवाला है सुवन्लिंग, वेष्ष्ट्खोदन वानिलिंग, शत्रीओ को राजिए सुदन्रिलिंग शुद्रो को महास्ट्रत्दि प्रदान करनेवाला है बजष्पन, जवानी और भुध्हापे में विविदि लोक आबिंजध, वेदा बिंजध और शिवा बिंजध, तीन प्रकार की होती है लोक आबिंजध, अथाद लोक इग भस्म को शुद्धि के लिए रखें मिट्ट्र उग़ापा बाच्टाई बाच्टाई प्रदान करनेवाला है नितान्त मनुष्ष्खो सुख्ष्म लिंग का पूजन विविदिके दवारा करना चाहीए विविदि लोक आबिंजध, वेदा बिंजध और शिवा बिंजध, तीन प्रकार की होती है लोक आबिंजध, अथाद लोक इग भस्म को शुद्धि के लिए रखें कपाल गाय के गोबर, तताथशमी पीपल, पलाष, बड, आमलतास और भेर की लक्डियो से अगनी जलाए, इसे शुद्द भस्म माना जाता है बखाँन शिव ने, अपने गले में विराज्मान प्रभंच को जलाए, बस्म से सार्थबख से गरहन की आए आएसे गुरु के हाथ से बस्म दारन करनी चाहीए जन्म और मरन, सब भगवान शिव नहीं बनाए है जो इने उनकी सेवा में ही अरपित कर देता है वहे बनधनो से मुख्थ होटाथा है स्थूल, सुख्ष्म, और कारन को वष्मे कर लेने से अर कारन को वष्मे कर लेने से मुख्ष प्राब्त होता है जो शिव की पूजा में ततपर हो, माण रहे, सथ य तता गुनो से युक्त हो, क्रीया जाब तब करता रहे, उसे दिव्य आश्वर्य की प्राभ्ती होती है, तता गियान का उड़े होता है. शिव बख्त यता योग्य क्रीया एवम अनुशासन करे, तता था दन का उप्योग कर शिव स्थान में निवास करे, भग्वान शिव के महाद्मे का सभी के सामने प्रचार करे, शिव मन्त्र के रहेस सिको उनके अलावा कोई जानता है, अपका बव्ड़ करने से अपको अमारे सभी नहीं अई अपकी अई अपकी चानकारी सब से बहले मिले लेगी, हमें आपकी फीटबाक और सुज्जावों का हमेशा अंतदार रहता है, हमारे बोट्कास्ट के इस इपसुट को सुन्ने के लिए, अपका बहुत-बहुत दशन्बाद, अगर आपको यह आपकी इपसुट मसन्दाया हो, तु क्रिठ़्या हमारे चैनल को सु स्भ्सक्रट करना बहुले न, अब आपके फीट्बाक और सुच्छावों का हमेशा अंतदार रहता है इसलिए गर्प्या, हमें रेटिंग और समीखषा देकर, अपनी राई ज़ोर बताएं रर रर महादेव